Friday, 27 January 2017

इतने विचार दर्शन मेरे दिल दिमाग मे क्यों

इतने विचार दर्शन मेरे दिल दिमाग मे क्यों    
ना मैं कोई स्थापिक लेखक ,विचारक या नेता हूँ ना ही कुछ बनने की चाहत है 
ना ही कभी मैने विचारक या लेखक बनने के लिये बहुत मेहनत की है 
          हाँ जवानी मे कुछ लिखने या कुछ बनने के ख्वाव जरूर देखे होंगे 
अब तो इतने विचार मेरे दिलो -दिमाग पर छा जाते है की मैं लिखने को मजबूर 
हो जाता हूँ  
               सीधा लेपटॉप पे हूँ पता नही क्या लिखने जा रहा हूँ कोई तैयार नही 
किया हुआ  
            जो मेरे देश दुनिया मे हो रहा है जिन -जिन विचारो दर्शन की देश दुनिया 
मे आज कल दुहाई दी जा रही है उनका ही असर मेरे दिल दिमाग मे होना सोभाभिक 
ही है 
      बहुत सारे दार्शनिको विचारको बहुत गभीरता से पड़ा है उस पे अपना विचार 
किया है 
      बहुत सारे विचारको दार्शनिको को देख और सुन रहा हूँ बहुत से देशो की व्यवस्था 
कारिया प्रणाली वा भौतिक वा आर्थिक स्थितयों के बारे मे जानता हूँ 
       तो यह सोभाविक है उनसब को दिमाग मे होते हुये मेरे दिमाग मे भी कुछ विचार 
दर्शन आये गे ही वो सब जब हो जाता है तो मे लिखने को मजबूर हो जाता हूँ 
       बहुत बार मैं लिखता ही नही खुद को समझा बुझा लेता हूँ मेरे लिखने से क्या होने 
वाला है मैं हूँ कोन एक छोटा सा सहिमा सा टुटा फूटा सा कवि लेखक या वो भी नही  
       मगर फिर भी देखता कैसे कैसे लोग कैसे कैसे विचारो से देश दुनिया को चला रहे 
सोचता हूँ ऐसे मे इन सब का इंजाम क्या होने वाला है  
        और मेरी इतनी उम्र मे क्या क्या इंजाम निकले है उन सब के आधार पर आगे क्या 
होगा इस सब का पूरा पूरा नही तो कुछ इंदाजा तो लग ही रहा है 
       क्या सब जो यह कह रहे है समान अधिकार लोकतंत्र संपूर्ण आजादी यह सब कहने 
मे ही है या सच मे है 
         मेरी समझ मे यह सब कहने मे है सच मे नही 
मे एक एक बात पर बहुत विस्तार से लिख सकता हूँ मगर सुनता ही कोन है मे यह जालिम 
जमाने मे इतने प्रभाव शाली वा बाहुबली धनाड़ीया लोगो मे मेरी औकात ही क्या है जो मैं कुछ 
कह सकू  
           बस अर्पण ठीक है यह आधा अधूरा लेख 
                तेरे भाग्य जो तूने स्वयं लिख रखा है दर्दीले गीत लिखना और दर्द हांड़ना अपने साथ 
अपने दर्शन और विचारो को लपेट के मर जाना   
    राजीव अर्पण फ़िरोज़पुर शहर पंजाब भारत