Thursday, 27 April 2017

जब किसी गीत ग़ज़ल रचना होती है तब मेरे अंदर सगीत समोहन ना जाने क्या -क्या

जब किसी गीत ग़ज़ल रचना होती है तब मेरे अंदर सगीत समोहन ना जाने क्या -क्या 
      जब कभी मुझे गीत या ग़ज़ल उतरती है यहां उतरती इस लिये लिख रहा हूँ मै कोई 
पेशे के लिये या किसी ने मुझे कोई मजमून दिया हो उस पर कुछ किताबे या उस विषय 
से सबंधित जानकारी हांसिल कर के बहुत मेहनत से तो लिखता नहीं की मुझे मेरा मेहनताना 
मिले इतने सालो से लिखते -लिखते बैसे तो यह सब बहुत आसानी से कर सकता हूँ मगर 
किया कम ही है हा कुछ दोस्तों के लिये लिखना पड़ा जिन्हे लिखना लाजमी सा था 
             उन से सब पूछा हा आप को कहा किस बारे लिखना है उनसे एक दो दिन का 
समय लिया ओर जब मुझे मसूस हुआ की अब लिख सकता हूँ तो एक बार मे ही उन्हें 
लिख कर दे दिया ओर कहा भाई इससे अपनी मर्जी से ठीक ओर अच्छा कर लो 
कुछ दोस्तों ने मुझे बताया दोस्त हमने बहुत कोशिश की रातो भर दिन भर तुम्हारे लिखे 
को अच्छा करने की मगर वो तो ओर खराब होता गया किरपा इस मे हमारे कहने कुछ 
ओर जोड़ दीजिए जो रह गया है या कुछ निकाल दीजिये तो दोस्तों के लिये यह सब करना ही 
पड़ा 
       मगर मै बात कर रहा था जब कभी मेरे पे कोई गीत ग़ज़ल उतरती है तो एक अजीब सा नशा 
होने लगता है जो मुझे लिखने के लिये बिब्श कर देता है या सम्मोहित कर देता है मै लिखने 
लगता हूँ तब मेरे गीत ग़ज़ल मैं सरगम संगीत एक मदमस्त खशबू ना जाने क्या क्या होता है 
मेरे लिये तो अलग ही जहाँन होता है ओर उन पलो मे पल बहुत बड़े हो मेरे लिये तो वो रात दिन 
पलो मे ही गुजरती है 
   राजीव अर्पण फ़िरोज़पुर शहर पंजाब भारत