Wednesday, 21 September 2016

मृग तृष्णा

   
         मृग तृष्णा 
मृग तृष्णा सबने  सुना है ,सुना है ना यह क्या करती  है !मैंने देखा है 
आने वाले पलों के लिये तो यह ख्वाब बनाती ही है इंसान को सताती 
ही है 
    अफ़सोस तो इस बात का है की यह गुजरे हुये अच्छे से अच्छे पलों 
को भी नही छोड़ती उन मे भी यह तृष्णा बनी रहती है की जो हुआ वो 
थोड़ा सा ज्यादा होना चाहिये था !जब की जो हो गया उस मे कोई बदलाव 
नही हो सकता फिर भी तृष्णा ना जाने क्यों उलझाये रखती है 
        मेरा घर थोड़ा सा ऐसा देश ऐसा होता दोस्त ऐसे होते बाबा यह कही 
नही छोड़ती मुझे क्या इस ने बडो -बड़ो को मुर्ख बनाया क्या आप को नही बनाती 


            राजीव अर्पण फ़िरोज़पुर शहर पंजाब भारत 

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