मैने वो सामने वालो की स्वीटी नाम की कुतिया से क्या लेना था
मैं मुश्किल से दो साल का था मुझे याद है यह सीन जब रात १२ बजे
मैं रोने लगा और मैं बहुत ज्यादा जीद करने लगा की मैंने सामने घर
वालो की कुतिया स्वीटी देखनी है मुझे इतना भी याद है कि उसने
दो-चार दिन हुये थे उसने पिलो को जन्म दिया था
मेरी जीद के आगे घर वालो को झुकना पड़ा और मेरी दादी
ने रात को उनका दरवाजा खुलवाया और मुझे स्वीटी के दर्शन करवाये
मुझे वो जगह स्वीटी की शक्ल अच्छी तरह याद है
मगर आज तक मुझे यह नही समझ मे आया मैं उसे देखना क्यू
चाहता था
साथ मे एक और बचपन की याद जीद कर के रोने लगता था
और रोते -रोते भूल जाता था मैं रो किस लिये रहा हूँ
राजीव अर्पण फ़िरोज़पुर शहर पंजाब
भारत