Thursday, 8 December 2016

मैने वो सामने वालो की स्वीटी नाम की कुतिया से क्या लेना था

     
        मैने वो सामने वालो की स्वीटी नाम की कुतिया से क्या लेना था 
मैं मुश्किल से दो साल का था मुझे याद है यह सीन जब रात १२ बजे 
मैं रोने लगा और मैं बहुत ज्यादा जीद करने लगा की मैंने सामने घर 
वालो की कुतिया स्वीटी देखनी है मुझे इतना भी याद  है कि उसने 
दो-चार दिन हुये थे उसने पिलो को जन्म दिया था 
          मेरी जीद के आगे घर वालो को झुकना पड़ा और मेरी दादी 
ने रात को उनका दरवाजा खुलवाया और मुझे स्वीटी के दर्शन करवाये 
मुझे वो जगह स्वीटी की शक्ल अच्छी तरह याद है  
          मगर आज तक मुझे यह नही समझ मे आया मैं उसे देखना क्यू 
चाहता था  
       साथ मे एक और बचपन की याद जीद कर के रोने लगता था 
और रोते -रोते भूल जाता था मैं रो किस लिये रहा हूँ   
                             राजीव अर्पण  फ़िरोज़पुर शहर पंजाब 
                                     भारत 

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