Thursday, 31 July 2014

बस का सफर तो सभी

      बस का सफर तो सभी 
बस का सफर तो सभी हँसते-मुस्कुराते गुजार लेते है ! मगर ज़िंदगी के सफर 
में वो सुन्दर बलाये ,बलाये बन जाती है 
                         मैं पहली लाइन पे लिखने जा रहा हूँ 
जवान था सब था जो एक नोजवान में होना चाहिये अपनी और तारीफ क्या करू 
बस क्या था लच लग गई बस में सफर करने की मजाज का इश्क तो भरा पड़ा था 
मुझ में बात भारत की राजधानी से शुरू करता हूँ !
                   उन दिनों में दिल्ली में था तो क्या तीन -तीन महीनो का ऑल -रूट 
पास बनवा लेता था हसीन सुंदरियों के साथ बैठ का कोई मौका नही टलने देता था 
यह जैसे मेरा दिन से ले के रात तक मुफ्त का काम मिल गया था 
                 बस में जहा तक संभव होता है वहा तक बेहिचक लुत्फ़ लिया यह सिलसला 
सालो तक चलता रहा रोज का रोटीन तो टूटा मगर यह चस्का नही छूटा 
                किसी ने दबे होठो से मुस्कुरा के किसी ने दिल से किसी ने झेलते हुये से 
मेरे संग सफर गुजरा  बस 
       राजीव अर्पण 
पंजाब फिरोजपुर शहर 
     भारत 

Wednesday, 30 July 2014

चवानी घिसते -घिसते घिस गई

         चवानी घिसते -घिसते घिस गई
चवानी घिसते -घिसते घिस गई दोस्त मुझे बचपन कहा करते थे इतना होशियार है
तो इस की इंगलिश बना मुझे नही पता यह मुहावरा था लकोक्ती थी
         परन्तु भारत सरकार ने चवानी बंद ही कर दी
                     घिसा दी
इंगलिश से याद आया जब कही लड़ाई होती थी यानी दो भले मानस बच्चे लड़ते थे
तो एक इंग्लिश में कुछ कह देता था तो दूसरा कहता था इस के स्पेलिंग बता तो
स्पेलिंग के स्पेलिंग मुझे नही आते गूगल में देखता हू 
               गूगल बन गई ना स्पेलिंगो के लिये 
                
 राजीव अर्पण 

मेरे पोते ने कहा

             मेरे पोते ने कहा
   मै भारत में रहता हूँ एक शहर में आप को मालूम है भारत की जनसंखिया लगभग एक
अरब पच्चीस करोड़ दुनिया भर की आबादी की बीस प्रतिशत और रकबा दो-चार प्रतिशत
अभी मेरे देश में संभोग खुले में करने की आजादी नही बहुत कानून है संभोग करने के
शादी होनी चाहिये पत्नी की सहमती भी जरुरी है
              फिर पत्नी का बरत ना जाने कितनी असहमतियां जैसे की संभोग कोई गलत 
काम हो पत्नी और पति के लिये एक दुश कर्म हमारे समाज के हिसाब से फिर ऊपर से 
संयुक्त परिवार एकान्त नसीब में नही !फिर अब हमारा समय गया बच्चे बड़े हो गये 
इतना होने के बाबजूद आबादी में इतना इजाफा क्यों मेरी समझ से बाहर 
            छोड़िये मेरा देश यह बाते करने की भी अनुमती नही देता 
मैं तो बात कर रहा था कोई और 
       बात यह थी की लहलहराती वादिया शहर से कोसो दूर हो गई कोई परिंदा भी नजर 
नही आता जानवर तो दूर की बात अभी पेड़ काटने और जानवर पालने या मारना क़ानूनी 
जुल्म है इन सब को पथरो के मकान और बड़ी उधोगिक इकाईया निगल गई 
           कहानी यह भी नही सरमायेदारों का डर है मुझे 
        मैं आज से 10 -20 भविष्य में जाता हू मेरे साथ मेरा पोता है मैं उसे पेड़ो और हरियाली 
से भरी वादिया दिखाना चाहता हु वह मोरो का पेल पाना पंछी के गीत गाना उन का    टहटलाना 
सब नजारे दिखने चाहता हू जिन को देख कर मेरा दिल रोमांचित हो जाता था मैं बिभोर 
हो जाता था उमंगो से भर जाता था और अपने पोते को मै इस से बढ़िया क्या देता जो वो उमंगो से 
भर जाता यह मेरी सोच 
            ऐसे में समझदारी से पैसे कमाने वाले ने इस पर एक फिल्म बना रखी थी 
मै बड़ा खुश हुआ चलो पोते को असली ना सही फिल्म में सब दिखाता हुँ 
     हम दोनों फिल्म देखने गये मेरे पोते को तो सब अजीबो गरीब लगा कुछ देर में वो वोर होने लगा 
उसने पूछा यह सब हय क्या उसने पूछा दादा पापा आप कैसी उटपतंग फिल्म दिखने चले आये मेरी 
कितनी काल्पनिक फिल्म है मेरी समझ से मिलो दूर आप बड़ी तलीनता से देख रहे है समय की बरबादी 
             अब मेरी समझ से बाहर जो बचा एयर कडीशन और कोठियों कारों में स्पडेर मेन जैसी फिल्मे 
देख कर बड़ा हुआ हो उसने यह सब ना देखा हो !
                  तो उस को समझना तो ऐसे है जैसे हमे समझना धरती से बहुत से प्राणी लुप्त हो चुके है 
यह उन के फिल्म है यकीन नही आता तो उन के अविशेष देखो 
          क्या हम उन्हें जान पाये 
    राजीव अर्पण फ़िरोज़ पुर शहर 
पंजाब भारत     
 
    

आँखों से निकले आँसू

                       आँखों से निकले आँसू 
आँखों से निकले आँसू प्यार ,जज्बात और भावनायों के होते है !यह अक्सर किसी की 
याद मे बह ही जाते है !किसी से  रुसवाई या किसी की रुसवाई में आँखे नम कर ही 
जाते है !किसी की विदाई में यह रोके नही रुकते !किसी को मिलने  की बेबसी में 
हम रो ही तो सकते है अपनी भूलो के पश्तावे में ,अपनी नाकामियो और ना पूरी 
हुई ख्वाशो हम अक्सर रोते है यह प्यार /जज्बात और भावनायों के प्रतीक है 
एक माँ रोती है एक भाई रोता है बाप रोता है बेटा ,बेटिया रोती है सभी सबंन्धी वा 
दुनियाँ को रोते मैंने देखा है !
                        इन के सामने काम की दो-चार बूंदो का बियान करना बड़ा ओछा 
लगता है 
        सीधा ब्लॉग में लिखा 
             राजीव अर्पण फिरोजपुर शहर 
               पंजाब भारत