बस का सफर तो सभी
बस का सफर तो सभी हँसते-मुस्कुराते गुजार लेते है ! मगर ज़िंदगी के सफर
में वो सुन्दर बलाये ,बलाये बन जाती है
मैं पहली लाइन पे लिखने जा रहा हूँ
जवान था सब था जो एक नोजवान में होना चाहिये अपनी और तारीफ क्या करू
बस क्या था लच लग गई बस में सफर करने की मजाज का इश्क तो भरा पड़ा था
मुझ में बात भारत की राजधानी से शुरू करता हूँ !
उन दिनों में दिल्ली में था तो क्या तीन -तीन महीनो का ऑल -रूट
पास बनवा लेता था हसीन सुंदरियों के साथ बैठ का कोई मौका नही टलने देता था
यह जैसे मेरा दिन से ले के रात तक मुफ्त का काम मिल गया था
बस में जहा तक संभव होता है वहा तक बेहिचक लुत्फ़ लिया यह सिलसला
सालो तक चलता रहा रोज का रोटीन तो टूटा मगर यह चस्का नही छूटा
किसी ने दबे होठो से मुस्कुरा के किसी ने दिल से किसी ने झेलते हुये से
मेरे संग सफर गुजरा बस
राजीव अर्पण
पंजाब फिरोजपुर शहर
भारत
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