Wednesday, 30 July 2014

मेरे पोते ने कहा

             मेरे पोते ने कहा
   मै भारत में रहता हूँ एक शहर में आप को मालूम है भारत की जनसंखिया लगभग एक
अरब पच्चीस करोड़ दुनिया भर की आबादी की बीस प्रतिशत और रकबा दो-चार प्रतिशत
अभी मेरे देश में संभोग खुले में करने की आजादी नही बहुत कानून है संभोग करने के
शादी होनी चाहिये पत्नी की सहमती भी जरुरी है
              फिर पत्नी का बरत ना जाने कितनी असहमतियां जैसे की संभोग कोई गलत 
काम हो पत्नी और पति के लिये एक दुश कर्म हमारे समाज के हिसाब से फिर ऊपर से 
संयुक्त परिवार एकान्त नसीब में नही !फिर अब हमारा समय गया बच्चे बड़े हो गये 
इतना होने के बाबजूद आबादी में इतना इजाफा क्यों मेरी समझ से बाहर 
            छोड़िये मेरा देश यह बाते करने की भी अनुमती नही देता 
मैं तो बात कर रहा था कोई और 
       बात यह थी की लहलहराती वादिया शहर से कोसो दूर हो गई कोई परिंदा भी नजर 
नही आता जानवर तो दूर की बात अभी पेड़ काटने और जानवर पालने या मारना क़ानूनी 
जुल्म है इन सब को पथरो के मकान और बड़ी उधोगिक इकाईया निगल गई 
           कहानी यह भी नही सरमायेदारों का डर है मुझे 
        मैं आज से 10 -20 भविष्य में जाता हू मेरे साथ मेरा पोता है मैं उसे पेड़ो और हरियाली 
से भरी वादिया दिखाना चाहता हु वह मोरो का पेल पाना पंछी के गीत गाना उन का    टहटलाना 
सब नजारे दिखने चाहता हू जिन को देख कर मेरा दिल रोमांचित हो जाता था मैं बिभोर 
हो जाता था उमंगो से भर जाता था और अपने पोते को मै इस से बढ़िया क्या देता जो वो उमंगो से 
भर जाता यह मेरी सोच 
            ऐसे में समझदारी से पैसे कमाने वाले ने इस पर एक फिल्म बना रखी थी 
मै बड़ा खुश हुआ चलो पोते को असली ना सही फिल्म में सब दिखाता हुँ 
     हम दोनों फिल्म देखने गये मेरे पोते को तो सब अजीबो गरीब लगा कुछ देर में वो वोर होने लगा 
उसने पूछा यह सब हय क्या उसने पूछा दादा पापा आप कैसी उटपतंग फिल्म दिखने चले आये मेरी 
कितनी काल्पनिक फिल्म है मेरी समझ से मिलो दूर आप बड़ी तलीनता से देख रहे है समय की बरबादी 
             अब मेरी समझ से बाहर जो बचा एयर कडीशन और कोठियों कारों में स्पडेर मेन जैसी फिल्मे 
देख कर बड़ा हुआ हो उसने यह सब ना देखा हो !
                  तो उस को समझना तो ऐसे है जैसे हमे समझना धरती से बहुत से प्राणी लुप्त हो चुके है 
यह उन के फिल्म है यकीन नही आता तो उन के अविशेष देखो 
          क्या हम उन्हें जान पाये 
    राजीव अर्पण फ़िरोज़ पुर शहर 
पंजाब भारत     
 
    

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