Friday, 16 August 2013

पनेसर साहिब की कविताये

                पनेसर साहिब की कविताये 
मेरे कुछ दोस्त है जिन्होंने दो-चार कवितायों से ही जीवन बिता लिया 
यानि जीवन में दो -चार कविताये लिखी और वो सफल कवि रहे !
        मेरी तरह नही कविता लिखी ना मांजी ना सुधारी बस लिखते ही 
गये !दो-चार कविताये जीवन में लिखने से बार-बार पड़ने और सुनाने 
से वो सुधर ही जाती है !उन में निखार आ ही जाता है !
                 उस पर अगर विषय बहुत चर्चित हो धार्मिक हो लोगो की 
स्वेदना से जुड़ा हो तथा उस विषय पर बहुत सारे लोगो ने पहले से ही 
लिखा हो तो यकीनन आप कवि हो गये !
            जपुजी साहिब तथा सुख-मनी साहिब दोनों अलोकिक कृतिया 
अदभूत है अपने आप में संपूर्ण है !यह स्वय गुरु साहिब के मुख से कही 
गई है जिन की प्रशंशा में कुछ कहना चाँद को दिया दिखाने के समान है 
  मगर फिर भी उनकी प्रशंशा में कविता लिखी और उनकी प्रशंशा में 
लिखा वो अपने आप में इतनी प्रशंशनीय है की प्रशंशा की जरूरत ही 
नही फिर भीपनेसर साहिब ने ने वो दोनों पे कविताये लिख ली !
         जहा कभी हमारी मींटिग होती वही कविताये बोल देते और 
धार्मिक सिख समागमो में भी ,तो वहा वाह -वाह मिलनी तो लाजमी थी !
        ऐसे ही मेरे कुछ और दोस्त ने ऐसे बिषयो पर कविता लिखी जिन पर 
पहले से कविता लिखी जा चुकी थी जेसे कि मगती,विधवा ,माँ बोली या
मातर भाषा अदि वो दो-चार कविता लिख क्र ही सफल कवि कहलाये !
                                      राजीव अर्पण 
 
 
 
 
 
 
 
 

Wednesday, 14 August 2013

मोज -मस्ती

    मोज -मस्ती 
मेरी सहेली बहुत खुश मेरे पास आई !मुझ से बोली चलो डेरे चलते है !
कुछ दिन के लिये सब जा रहे है !आप भी मेरे साथ चलिये !
            मैंने पूछा वहा क्या है और हम क्या करे गे !
वो बोली तुम तो बुधू हो वहा भंडारा  है बहुत बड़ा डेरा है वहा कोई रोक टोक 
नही धूमे गे खाये पिये गे और जहा दिल करे गा सो जाये गे !चलो ना मोज -
मस्ती करे गे !
                  राजीव अर्पण फिरोजपुर शहर पंजाब 

सूर्य उर्जा

                   सूर्य उर्जा 
आज के समय में किसी भी राष्ट्र को तरक्की करने के लिये चाहिये उर्जा ,
जिस का एक रूप है बिजली !
                    वो बिजली भारत में सूर्य से असीम प्राप्त की जा सकती है !
लगभग आधे भारत में सूर्य साल में चार -पाँच महीने 40 से 50 डिग्री 
सेलसिस चमकता है 10 से 25 तो बहुत से भारत में सारा साल !
           ऐसा नही यहा भारत में सूर्य उर्जा को बिजली में परिवर्तित करने 
वाले सईसदान नही !ऐसा भी नही यहा जमीन की कमी है हजारो मिल 
फेला रेगिस्थान है वहा खुबसूरत बस्तिया बसाई जा सकती है उधयोग 
लगाये जा सकते है !
         ऐसा भी नही यहा पड़े लिखे या कम पड़े लिखे काम करने वालो की 
कमी है या उनका वेतन बहुत ज्यादे 3000 से 7000 हजार महीने मे काम 
करने वाले मिल जाये गे !
              ऐसी बात नही सरकार नही है वो भी गेर -परमागत तरीको से 
बिजली प्राप्त करना चाहती है !सूर्य उर्जा से चलने वाले टयुब्ल अदि पे 
प्रोसाहित करने के लिये सब्सिडी दे रही है !
            मगर यह काफी नही चाहिये एक मनेजमेंट और बड़े सोलर प्लांट 
जो गावो को कारखानों को बिजली दे सके !
                                राजीव अर्पण फिरोजपुर शहर पंजाब भारत 

Tuesday, 6 August 2013

रंग गोरा हो जाये गा

                     रंग गोरा हो जाये गा 
सांवली सी सहेली थी मेरी मैने उस से कहा तुम ना चूमा दिया करो !
तुम्हारा रंग गोरा हो जाये गा !वो बोली सच में मैने सच में !तुम खुद 
देख लेना !
          प्यार से मगर कुछ जोर से उस के गाल चूमता !चूमने से कुछ 
लालिमा तो आ जाती चेहरे पे ! फिर उसे शीशा दिखता !वो बड़े ध्यान 
से शीशे में देखती और कहती यहा से नही हुआ गोरा !
        मै वहा से भी चूमता !वो पूछती कितने दिन ऐसा करने से रंग 
गोरा होते !मै बस कुछ दिनों में महीने में तो पका हो जाते !
     क्या हसीन दिन थे वो बचपन के या रबा !
                                  राजीव अर्पण 

किसी ने बाजार जाने

          किसी ने बाजार जाने 
मै गली में अकेला होता था !वो चुपके से मेरे पास आती और कहती !
किसी ने बाजार जाने !
         मै कहता हा उस का दीवाना जो था बताओ !वो कहती और कोई 
नही था इस लिये आप से कह रही हूँ !
         आप मुझे बाजार से समोसे ला दो !आप मेरे नाम से वही खा आना 
मै उसके कोमल हाथ पकड़ के कहता !आप के नाम से केसे ?कुछ पल 
बाद पेसे ले कर बाजार चला जाता !
          यह बात अक्सर हफ्ते दो हफ्ते में एक बार जरुर घटती हा क्या 
खूब वो बचपन के दिन थे !
                             राजीव अर्पण 

Sunday, 4 August 2013

लिख -लिख के प्यार करते थे

                       लिख -लिख के प्यार करते थे 
मै पढने में बचपन से ही अब्बल रहता था !आठवी कक्षा हमारी बोर्ड की थी !
मै हिसाब के बड़े -बड़े सवाल बिना लिखे दिमाग में ही निकाल लिया करता था !
इस लिये हमारे मोहल्ले की एक दो लडकिया मेरे साथ पढ़ती थी उनके घर वाले 
रात को भी मेरे साथ पढने की सोने की इजाजत देते थे उनको तब हम बच्चे थे 
शायद इस लिये !
             समय गुजरा मै दुसरे शहर था बी.स. सी कर रहा था एक जान पहचान 
वाले शक्श ने कहा आप मेरी बेटी को पढ़ा दिया करो कृपा हमारे घर ही आ जाया 
करना वहा हम सभी होंगे !मैंने कहा ठीक है !
           इस लीये मै उस सुंदर सी लडकी को उस के घर जा कर पढ़ना शुरू कर 
दिया !कुछ दिनों में वो मेरी सहेली बन गई !हम लिख -लिख कर कापी पे प्यार 
भरी बाते करने लगे ऐसे प्यारी बातो की कई कापिया भर गई !
           एक दिन उस कमसिन प्यारी लडकी ने कापी पे लिखा कल ग्यारा बजे 
हमारे घर आ जाना मै इकेली ही हुंगी घर पर सारे घर वाले कही जा रहे है !
                              राजीव अर्पण फिरोजपुर शहर पंजाब भारत