किसी ने बाजार जाने
मै गली में अकेला होता था !वो चुपके से मेरे पास आती और कहती !
किसी ने बाजार जाने !
मै कहता हा उस का दीवाना जो था बताओ !वो कहती और कोई
नही था इस लिये आप से कह रही हूँ !
आप मुझे बाजार से समोसे ला दो !आप मेरे नाम से वही खा आना
मै उसके कोमल हाथ पकड़ के कहता !आप के नाम से केसे ?कुछ पल
बाद पेसे ले कर बाजार चला जाता !
यह बात अक्सर हफ्ते दो हफ्ते में एक बार जरुर घटती हा क्या
खूब वो बचपन के दिन थे !
राजीव अर्पण
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