Wednesday, 14 August 2013

मोज -मस्ती

    मोज -मस्ती 
मेरी सहेली बहुत खुश मेरे पास आई !मुझ से बोली चलो डेरे चलते है !
कुछ दिन के लिये सब जा रहे है !आप भी मेरे साथ चलिये !
            मैंने पूछा वहा क्या है और हम क्या करे गे !
वो बोली तुम तो बुधू हो वहा भंडारा  है बहुत बड़ा डेरा है वहा कोई रोक टोक 
नही धूमे गे खाये पिये गे और जहा दिल करे गा सो जाये गे !चलो ना मोज -
मस्ती करे गे !
                  राजीव अर्पण फिरोजपुर शहर पंजाब 

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