रंग गोरा हो जाये गा
सांवली सी सहेली थी मेरी मैने उस से कहा तुम ना चूमा दिया करो !
तुम्हारा रंग गोरा हो जाये गा !वो बोली सच में मैने सच में !तुम खुद
देख लेना !
प्यार से मगर कुछ जोर से उस के गाल चूमता !चूमने से कुछ
लालिमा तो आ जाती चेहरे पे ! फिर उसे शीशा दिखता !वो बड़े ध्यान
से शीशे में देखती और कहती यहा से नही हुआ गोरा !
मै वहा से भी चूमता !वो पूछती कितने दिन ऐसा करने से रंग
गोरा होते !मै बस कुछ दिनों में महीने में तो पका हो जाते !
क्या हसीन दिन थे वो बचपन के या रबा !
राजीव अर्पण
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