Tuesday, 6 August 2013

रंग गोरा हो जाये गा

                     रंग गोरा हो जाये गा 
सांवली सी सहेली थी मेरी मैने उस से कहा तुम ना चूमा दिया करो !
तुम्हारा रंग गोरा हो जाये गा !वो बोली सच में मैने सच में !तुम खुद 
देख लेना !
          प्यार से मगर कुछ जोर से उस के गाल चूमता !चूमने से कुछ 
लालिमा तो आ जाती चेहरे पे ! फिर उसे शीशा दिखता !वो बड़े ध्यान 
से शीशे में देखती और कहती यहा से नही हुआ गोरा !
        मै वहा से भी चूमता !वो पूछती कितने दिन ऐसा करने से रंग 
गोरा होते !मै बस कुछ दिनों में महीने में तो पका हो जाते !
     क्या हसीन दिन थे वो बचपन के या रबा !
                                  राजीव अर्पण 

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