लिख -लिख के प्यार करते थे
मै पढने में बचपन से ही अब्बल रहता था !आठवी कक्षा हमारी बोर्ड की थी !
मै हिसाब के बड़े -बड़े सवाल बिना लिखे दिमाग में ही निकाल लिया करता था !
इस लिये हमारे मोहल्ले की एक दो लडकिया मेरे साथ पढ़ती थी उनके घर वाले
रात को भी मेरे साथ पढने की सोने की इजाजत देते थे उनको तब हम बच्चे थे
शायद इस लिये !
समय गुजरा मै दुसरे शहर था बी.स. सी कर रहा था एक जान पहचान
वाले शक्श ने कहा आप मेरी बेटी को पढ़ा दिया करो कृपा हमारे घर ही आ जाया
करना वहा हम सभी होंगे !मैंने कहा ठीक है !
इस लीये मै उस सुंदर सी लडकी को उस के घर जा कर पढ़ना शुरू कर
दिया !कुछ दिनों में वो मेरी सहेली बन गई !हम लिख -लिख कर कापी पे प्यार
भरी बाते करने लगे ऐसे प्यारी बातो की कई कापिया भर गई !
एक दिन उस कमसिन प्यारी लडकी ने कापी पे लिखा कल ग्यारा बजे
हमारे घर आ जाना मै इकेली ही हुंगी घर पर सारे घर वाले कही जा रहे है !
राजीव अर्पण फिरोजपुर शहर पंजाब भारत
No comments:
Post a Comment