Wednesday, 17 December 2014

शोआध का विषय

           शोआध का विषय 
नई -नई खोजे हो रही है !मनुष्य के प्रत्येक अंग पे ,उन अंगो में विकार 
या शरीर में आ जाने वाली बीमारियो से निजात पाने के लिये अनेक 
ओषदिया विकसित हो रही है !उन सभी अविशारको को मेरा शत-शत 
प्रणाम !
इन में से बहुत ज्यादा ओषदिया हमारे खून में मिलकर किसी भी रोग 
को खत्म करने की प्रतिरोध क्षमता इतनी बढ़ा देती है कि वह रोग 
समाप्त हो जाता है !विस्तार से इस बारे अगर मै लिखू तो बहुत ज्यादा 
हो जाये गा !
    मै लिखता हूँ बस थोड़ा सा प्रतिशोधक क्षमता बारे जो हमारे शरीर 
सदा मजूद होती है कभी -कभी यह क्षमता स्वय से इतनी बड़ जाती है 
कि रोग स्वय से समाप्त हो जाता है !
      वैसे प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने या जागृत करने की अनेको -अनेक 
विधियों से किसी की मै चर्चा नही करू गा हर विधि पर लाखो पुस्तके 
लिखी जा चुकी है ! 
         मै तो बस इतना कहना चाहता हूँ बर्षो से लगा रोग स्वय से प्रतिरोधक 
क्षमता जाग जाने से एकाएक समाप्त हो जाता है !
          मै ऐसे अनेक व्यक्तियों को जनता हूँ जो अपने रोग का बहुत विधियों 
से बहुत सी जगहों से बहुत सालो तक उपचार करनवाने के बाद इस लिये 
थक -हार कर बैठ गये क्यों की वह रोग कही से ठीक नही हुआ !
          फिर अचानक से एकाएक उन का रोग स्वय से समाप्त हो गया 
आखिर क्यों और कैसे यह हुआ है तो यह शोयध का विषय !
      राजीव अर्पण फिरोज़पुर शहर पंजाब    
          भारत 



Saturday, 6 December 2014

मेरे देश की आबादी

          मेरे देश की आबादी 
मैं सोचता हूँ ! मैं अपने देश की समस्याओं के बारे सोचू और उन का 
समाधान करने बारे उपाये ढुंढू !
                मेरा देश सुख सुविधा से परिपूर्ण हो जाये कुछ ऐसे उपाये 
हो जाये !मैं सोचता भी हूँ हर आयाम के बारे मगर मेरा हर उपाये जो 
मैं देश की किसी भी समस्या बारे सोचता हूँ वो इतनी ज्यादा आबादी 
के लिये कम पड़ जाता है !
           देश जब से आजाद हुआ है एक चीज जो सदा से अब तक 
बढ़ती रही है वो है आबादी !मुझे याद है !संजय गांधी के समय में 
शायद आबादी 56 करोड़ थी !
           कुछ उपाये किये गये थे आबादी को निरंतर में रखने के 
लिये निचले या ऊपरी स्तर पर कुछ ज्यादतियां भी हो गई !लोग 
कहने लगे आजाद देश में जबरदस्ती है !प्यार से लोगो को 
समझाया जाये !प्यार से समझाते -समझाते यह 130 करोड़ हो गई 
         यह योजना के परिणाम तो जरूर बहुत अच्छे होते !
मगर उस समय इस योजना कारण जो हुआ बहुत बुरा हुआ !कैसे 
हुआ क्यों हुआ इस पर बात नही !
            अब कोई नेता या संस्था आबादी को निरन्तरित रखने की 
योजना नही बनाता !कई योजनाये सुनने को तो मिली मगर आज तक 
कोई लागू नही हुई अफ़सोस !
        राजीव अर्पण 

Friday, 8 August 2014

हीरे और दूध का कारोबार

          हीरे और दूध का कारोबार 
मेरे लड़के ने बेल्जियम जाना था !मेरा दोस्त मेरे घर के नजदीक ही अंग्रेजी दवाईयो की 
दुकान चलता है 
     मेरा लड़का किसी काम से बाजार गया वह मेरे दोस्त से भी मिला !उसने मेरे लड़के 
से कहा बेल्जियम में हीरे का दूध का बहुत बड़ा कारोबार है!
    मेरा लड़का जो बेल्जियम टयोटा मोटर में सॉफ्टवेयर इंजीनयर के पद पर टयोटा कार 
में जी,पी ,एस  सिस्टम लगाने जा रहा था ओर वहा रहने की जगह उस ने स्वय डुड्नी थी 
इस लिये हड़वड़ाहट में था !
          मेरा लड़का मुझ से आ के कहने लगा पापा आपको पता नही हीरे का दूध का बेल्जियम 
में बहुत बड़ा कारोबार है आप हीरे से मिले हीरा नाम का व्यक्ती हमारे मोहल्ले में ही रहता हे 
मेने उस भद्र आदमी से मिला ओर पूछा आप का बेल्जियम में दूध का व्यापार है वो मुझे 
बहुत हैरानी से देखने लगा और सोचते हुये कहने लगा मेरा तो कोई काम नही किसी और 
हीरा नाम का कोई और आदमी होगा !
    मेने अपने दवाईयो की दुकान वाले दोस्त से पूछा उस ने स्पष्ट किया की मैने कहा था 
बेल्जियम में दूध तथा हीरे का बहूत कारोबार है !
     राजीव अर्पण 


Thursday, 7 August 2014

लोअर लिप्स

       लोअर लिप्स
मुझे मेरी एक पुरानी सहेली मिली मैने पूछा सज-सँवर  के कहा से आ रही हो
        वह बोली हम लड़कियों को सौ मुसीबते बयूटी पारले गई थी वह से
उप्पर लिप्स आदि करवा के आ रही हूँ !
       मैने पूछा यह उप्पर लिप्स क्या होते है ! वो बोली ऊपर के होठो के ऊपर

जो वाल होते है उसे कहते है उन्हें साफ करवा के आई हूँ तथा एक दो ओर 
काम  !
       मैने कहा लोअर लिप्स भी साफ करवा आती !


       वह बोली मेरे नीचे के होठ के नीचे तो वाल नही है मैने नीचे के होठ के 
दो फीट नीचे वाल है ना वो लोअर लिप्स !
      वह सोचने और समझ गई ! बोली वो तो खुद ही  साफ करने पड़ते  है 
 मेरी ब्यूटीशन यह नही करती मै भी किसी से करवाने से लजाती हूँ 

      राजीव अर्पण 


Tuesday, 5 August 2014

हीर की तकदीर

                 हीर की तकदीर 
वो कमसिन नाजुक सी अति सुन्दर लड़की जिस ने एक हम उम्र भोली सी सूरत 
वाले लड़के से प्यार किया ओर उसे दिलो-जान से चाहने लगी 
               जवानी के गरूर में प्यार के हसीन सपने बुनने लगी प्यारी सी हसीन 
जिंदगी जीने का खूबसूरत ख्वाब उसके दिल में पलने लगा उसने अपने प्रेमी के 
संग जिंदगी भर जीने का खाका तैयार कर लिया 
               एक दिन उसके प्रेमी ने उसे अपने घर बुलाया 
                       वो सपनो की गठड़ी सिर पे रखे अपने प्रेमी से मिलने उस के घर चली 
गई 
     वहा क्या हुआ इस का जिक्र ज्यादा नही करता हुआ बस यही बताता हूँ 
             वहाँ उस के प्रेमी वा उस के चार-पांच दोस्तों ने उस के साथ दिन भर संभोग 
किया बस आगे क्या लिखू बस 
        राजीव अर्पण 
      

मेडिकल साईस से बाहर

      मेडिकल साईस से बाहर  
मेरे एक दाँत में दर्द था मैं डाक्टर के पास गया डाक्टर ने एन्टीक बोटिक दवाईया दी 
और बोला यह दाँत निकलवाना पड़े गा यह खोखला हो चूका है 
             मेरे एक दोस्त ने मुझ से कहा जवानी में ही दाँत निकलवाने शुरू कर दो गे 
तो साथ वाले दाँत भी कमजोर हो जाये गे 
            बहुत दर्द सहन किया मेने मै बहुत लोगो के पास भी गया आखिर मेरा एक दोस्त 
एक आदमी के पास ले कर गया जो एक दुकान पर मुनीम का काम करता था वो चारपाई 
पर बैठा काम कर रहा था 
          मेने उसे अपने दाँत के दर्द के बारे बताया वो दुकान से एक लकड़ी ले कर आया 
और मुझे वो दर्द करता हुआ दाँत पकड़ने को कहा उसने एक कागज पर कुछ लिखा 
और उस लकड़ी में उसे ठोक दिया मेरे दाँत का दर्द गयाब मैं बहुत हैरान हुआ इतने दिनों से बहुत 
स्ट्रांग दवाईया ले रहा था दर्द नही जा रहा था 
                 वह दाँत जिन्दगी भर नही दर्द किया 
   ऐसे ही मैं काफी लोगो को जनता हू जो पेट ,गला आधे सिर का दर्द तथा और बहुत सी 
बीमारिया ठीक कर देते है मेने स्वय से आजमाया है 
                डाक्टरों से भी मेने यह बात की उन्हों ने भी कहा हाँ हमने भी यह सब बीमारी 
दूर होती देखी हम से भी कई लोग बीमारी ठीक करवा के मिले है 
               मगर यह मेडिकल साईस से बाहर की बात है यह मेडिकल साईस में नही आता 
राजीव अर्पण 

Thursday, 31 July 2014

बस का सफर तो सभी

      बस का सफर तो सभी 
बस का सफर तो सभी हँसते-मुस्कुराते गुजार लेते है ! मगर ज़िंदगी के सफर 
में वो सुन्दर बलाये ,बलाये बन जाती है 
                         मैं पहली लाइन पे लिखने जा रहा हूँ 
जवान था सब था जो एक नोजवान में होना चाहिये अपनी और तारीफ क्या करू 
बस क्या था लच लग गई बस में सफर करने की मजाज का इश्क तो भरा पड़ा था 
मुझ में बात भारत की राजधानी से शुरू करता हूँ !
                   उन दिनों में दिल्ली में था तो क्या तीन -तीन महीनो का ऑल -रूट 
पास बनवा लेता था हसीन सुंदरियों के साथ बैठ का कोई मौका नही टलने देता था 
यह जैसे मेरा दिन से ले के रात तक मुफ्त का काम मिल गया था 
                 बस में जहा तक संभव होता है वहा तक बेहिचक लुत्फ़ लिया यह सिलसला 
सालो तक चलता रहा रोज का रोटीन तो टूटा मगर यह चस्का नही छूटा 
                किसी ने दबे होठो से मुस्कुरा के किसी ने दिल से किसी ने झेलते हुये से 
मेरे संग सफर गुजरा  बस 
       राजीव अर्पण 
पंजाब फिरोजपुर शहर 
     भारत 

Wednesday, 30 July 2014

चवानी घिसते -घिसते घिस गई

         चवानी घिसते -घिसते घिस गई
चवानी घिसते -घिसते घिस गई दोस्त मुझे बचपन कहा करते थे इतना होशियार है
तो इस की इंगलिश बना मुझे नही पता यह मुहावरा था लकोक्ती थी
         परन्तु भारत सरकार ने चवानी बंद ही कर दी
                     घिसा दी
इंगलिश से याद आया जब कही लड़ाई होती थी यानी दो भले मानस बच्चे लड़ते थे
तो एक इंग्लिश में कुछ कह देता था तो दूसरा कहता था इस के स्पेलिंग बता तो
स्पेलिंग के स्पेलिंग मुझे नही आते गूगल में देखता हू 
               गूगल बन गई ना स्पेलिंगो के लिये 
                
 राजीव अर्पण 

मेरे पोते ने कहा

             मेरे पोते ने कहा
   मै भारत में रहता हूँ एक शहर में आप को मालूम है भारत की जनसंखिया लगभग एक
अरब पच्चीस करोड़ दुनिया भर की आबादी की बीस प्रतिशत और रकबा दो-चार प्रतिशत
अभी मेरे देश में संभोग खुले में करने की आजादी नही बहुत कानून है संभोग करने के
शादी होनी चाहिये पत्नी की सहमती भी जरुरी है
              फिर पत्नी का बरत ना जाने कितनी असहमतियां जैसे की संभोग कोई गलत 
काम हो पत्नी और पति के लिये एक दुश कर्म हमारे समाज के हिसाब से फिर ऊपर से 
संयुक्त परिवार एकान्त नसीब में नही !फिर अब हमारा समय गया बच्चे बड़े हो गये 
इतना होने के बाबजूद आबादी में इतना इजाफा क्यों मेरी समझ से बाहर 
            छोड़िये मेरा देश यह बाते करने की भी अनुमती नही देता 
मैं तो बात कर रहा था कोई और 
       बात यह थी की लहलहराती वादिया शहर से कोसो दूर हो गई कोई परिंदा भी नजर 
नही आता जानवर तो दूर की बात अभी पेड़ काटने और जानवर पालने या मारना क़ानूनी 
जुल्म है इन सब को पथरो के मकान और बड़ी उधोगिक इकाईया निगल गई 
           कहानी यह भी नही सरमायेदारों का डर है मुझे 
        मैं आज से 10 -20 भविष्य में जाता हू मेरे साथ मेरा पोता है मैं उसे पेड़ो और हरियाली 
से भरी वादिया दिखाना चाहता हु वह मोरो का पेल पाना पंछी के गीत गाना उन का    टहटलाना 
सब नजारे दिखने चाहता हू जिन को देख कर मेरा दिल रोमांचित हो जाता था मैं बिभोर 
हो जाता था उमंगो से भर जाता था और अपने पोते को मै इस से बढ़िया क्या देता जो वो उमंगो से 
भर जाता यह मेरी सोच 
            ऐसे में समझदारी से पैसे कमाने वाले ने इस पर एक फिल्म बना रखी थी 
मै बड़ा खुश हुआ चलो पोते को असली ना सही फिल्म में सब दिखाता हुँ 
     हम दोनों फिल्म देखने गये मेरे पोते को तो सब अजीबो गरीब लगा कुछ देर में वो वोर होने लगा 
उसने पूछा यह सब हय क्या उसने पूछा दादा पापा आप कैसी उटपतंग फिल्म दिखने चले आये मेरी 
कितनी काल्पनिक फिल्म है मेरी समझ से मिलो दूर आप बड़ी तलीनता से देख रहे है समय की बरबादी 
             अब मेरी समझ से बाहर जो बचा एयर कडीशन और कोठियों कारों में स्पडेर मेन जैसी फिल्मे 
देख कर बड़ा हुआ हो उसने यह सब ना देखा हो !
                  तो उस को समझना तो ऐसे है जैसे हमे समझना धरती से बहुत से प्राणी लुप्त हो चुके है 
यह उन के फिल्म है यकीन नही आता तो उन के अविशेष देखो 
          क्या हम उन्हें जान पाये 
    राजीव अर्पण फ़िरोज़ पुर शहर 
पंजाब भारत     
 
    

आँखों से निकले आँसू

                       आँखों से निकले आँसू 
आँखों से निकले आँसू प्यार ,जज्बात और भावनायों के होते है !यह अक्सर किसी की 
याद मे बह ही जाते है !किसी से  रुसवाई या किसी की रुसवाई में आँखे नम कर ही 
जाते है !किसी की विदाई में यह रोके नही रुकते !किसी को मिलने  की बेबसी में 
हम रो ही तो सकते है अपनी भूलो के पश्तावे में ,अपनी नाकामियो और ना पूरी 
हुई ख्वाशो हम अक्सर रोते है यह प्यार /जज्बात और भावनायों के प्रतीक है 
एक माँ रोती है एक भाई रोता है बाप रोता है बेटा ,बेटिया रोती है सभी सबंन्धी वा 
दुनियाँ को रोते मैंने देखा है !
                        इन के सामने काम की दो-चार बूंदो का बियान करना बड़ा ओछा 
लगता है 
        सीधा ब्लॉग में लिखा 
             राजीव अर्पण फिरोजपुर शहर 
               पंजाब भारत